10 Lines Essay Speech on Bhagat Singh | शहीद भगत सिंह पर 10 लाइन

10 Lines Essay Speech on Bhagat Singh in Hindi – दोस्तों, आज हम आपके लिए लेकर आये हैं शहीद भगत सिंह पर 10 लाइन का निबंध जिसका उपयोग आप Hindi Essay लिखने और सभा में भाषण देने के लिए कर सकते हैं।

दोस्तों, शहीद भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक थे। उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के लायलपुर जिले (वर्तमान में पाकिस्तान) में हुआ था। भगत सिंह का परिवार स्वतंत्रता संग्राम में पहले से ही सक्रिय था, जिससे उन्हें देशभक्ति और क्रांतिकारी विचारधारा का संस्कार मिला। तो चलिए पढ़ते हैं शहीद भगत सिंह पर 10 लाइन का निबंध।

10 Lines Essay Speech on Bhagat Singh in Hindi

वीर भगत सिंह भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे।

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में लायलपुर के बंगा नामक गांव में हुआ था जो वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित है।

इनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था।

भगत सिंह 12 साल की उमर में ही क्रांतिकारी गतिविधियों से जुड़ गए थे।

भगत सिंह ने ब्रिटिश सरकार से अपनी आजादी की लड़ाई लड़ने के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की।

भगत सिंह को हिंदी भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी, बांग्ला, उर्दू तथा पंजाबी भाषाएँ भी आती थी।

स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान इनके द्वारा “इंकलाब जिंदाबाद” नारा दिया गया था जिसका अर्थ है “क्रांति की जय हो”।

भगत सिंह के समूह के प्रमुख क्रांतिकारी साथी सुखदेव, राजगुरु तथा चंद्रशेखर आजाद थे।

सन 1931 में 23 मार्च की शाम को भगत सिंह, सुखदेव तथा राजगुरु को फांसी दे दी गई थी व इस तरह वे भारत माँ के लिए शहीद हो गए थे।

भारत की आजादी में भगत सिंह का योगदान अद्वितीय है।

भगत सिंह की प्रमुख गतिविधियाँ और उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

क्रांतिकारी गतिविधियाँ: भगत सिंह ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना की और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया। उनका उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता और समाजवाद का था।

साइमन कमीशन का विरोध: 1928 में साइमन कमीशन के भारत आगमन पर इसका विरोध किया गया क्योंकि इसमें कोई भारतीय सदस्य नहीं था। इसी विरोध के दौरान लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज हुआ, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। भगत सिंह ने इसका बदला लेने के लिए पुलिस सुपरिंटेंडेंट जेम्स ए. स्कॉट को मारने की योजना बनाई, लेकिन गलती से जे.पी. सॉन्डर्स को मार दिया।

सेंट्रल असेम्बली में बम फेंकना: 1929 में, भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेम्बली में बम फेंककर ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। उन्होंने इस घटना के दौरान “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे लगाए। उन्होंने बम फेंकने का उद्देश्य किसी को नुकसान पहुँचाना नहीं, बल्कि ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शित करना था।

कारावास और शहादत: भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को लाहौर षडयंत्र मामले में गिरफ्तार किया गया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। 23 मार्च 1931 को इन्हें लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई। उनकी शहादत ने भारतीय जनता को एकजुट कर दिया और स्वतंत्रता संग्राम को नया जोश और ऊर्जा प्रदान की।

दोस्तों, भगत सिंह को उनके साहस, बलिदान और दृढ़ संकल्प के लिए आज भी याद किया जाता है। वे भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं और उनकी देशभक्ति की भावना अनगिनत दिलों में जीवित है। आशा है आपको हमारी ये पोस्ट शहीद भगत सिंह पर 10 लाइन का निबंध पसंद होगी, अपने विचार कमेंट सेक्शन में जरूर लिखें।

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